भगवान गणेश जी का यह स्तोत्र समस्त प्रकार की चिंताओं तथा परेशानियों को दूर करनेवाला , समस्त प्रकार के भौतिक सुख , आर्थिक उन्नति ,व्यापार राज्यकार्य मे लाभ तथा समस्त उपद्रवों का नाश करनेवाला है।इसे स्वयं ब्रह्माजी ने भगवान गणेश जी की स्तुति करने हेतु रचा है।
घर मे गणेशजी की पूजा स्थापना,चतुर्थी, बुधवार के दिनो मे आप इस स्तोत्र के रोज 1, 11,21 पाठ या 11 दिनों मे 108 पाठ कर सकते हैं।
पुराण पुरुषं देवं नाना क्रीडाकरं मुदाम
मायाविनं दुर्विभाव्यं मयूरेशं नमाम्यहम !!
परात्परं चिदानंदं निर्विकारं हृदि स्थितम
गुणातीतं गुणमयं मयूरेशं नमाम्यहम !!
सृजंतं पालयंतं च संहरंतं निजेच्छया
सर्वविघ्नहरं देवं मयूरेशं नमाम्यहम !!
नानादैत्यानिहंतारं नानारुपाणि विभ्रतम
नानायुधधरं भक्त्वा मयूरेशं नमाम्यहम !!
इंद्रादिदेवतावृंदरेभिष्टु महर्निशम
सदसदव्यक्तमव्यक्तं मयूरेशं नमाम्यहम !!
सर्वशक्तिमयं देवं सर्वरुपधरे विभुम
सर्वविद्याप्रवक्त्तारं मयूरेशं नमाम्यहम !!
पार्वतीनंदनं शंभोरानंदपरिवर्धनम
भक्तानंदकरं नित्यं मयूरेशं नमाम्यहम !!
मुनिध्येयं मुनिनुतं मुनिकामप्रपूरकम
समष्टिव्यष्टिरुपं त्वां मयूरेशं नमाम्यहम !!
सर्वज्ञाननिहंतारं सर्वज्ञानकरं शुचिम
सत्यज्ञानमयं सत्यं मयूरेशं नमाम्यहम !!
अनेककोटिब्रह्मांड नायकं जगदीश्वरम
अनंत विभवं विष्णुं मयूरेशं नमाम्यहम !!
इदं ब्रह्मकरं स्तोत्रं सर्वपापप्रनाशनम
सर्वकामप्रदं नृणां सर्व उपद्रवनाशनम
कारागृह गतानां च मोचनं दिनसप्तकात
आधिव्याधिहरं चैव भुक्तिमुक्तिप्रदं शुभम !!