ईशान्य स्थल
जिस प्लाट के उत्तर व पुर्व दोनों तरफ़ रोड हो उसे ईशान्य स्थल या ईशान कोण वाला भुखण्ड कहते हैं चुंकि इस भुखण्ड की उत्तर व पुर्व दिशा में दोनों तरफ़ रास्ता होने की वजह से इसकी उत्तर व पुर्व दिशा हमेशा खुली और हल्की रहेगी और उत्तर व पुर्व दिशा से आने वाली शुभ ऊर्जा का लाभ भी ज्यादा से ज्यादा मिलेगा इसलिए इसे सर्वश्रेष्ठ भुखण्ड माना जाता है।
वास्तु की द्रष्टि से क्योकि ईशान कोण का संबंध संतान से होता है इसलिए ईशान्य स्थल वाले भवनों में रहने से इसके सबसे अधिक शुभ अशुभ प्रभाव संतान पर दिखायी पड़ते हैं।
आमतौर पर लोग किसी भी भुखण्ड के उत्तर व पुर्व दिशा में रोड देखकर इन भुखण्डो को मंहगे दामों में यह सोचकर ख़रीद लेते हैं की इसमें घर बनाते ही चमत्कार हो जायेगा पर बाद में जब आशा के अनुरूप परिणाम प्राप्त नही होते तो उनको बहुत मायूसी होती है और वास्तु विज्ञान की शक्ति पर संदेह होने लगता है।
आइये जानते हैं वो कारण जिनसे किसी प्लाट के उत्तर व पुर्व दोनों दिशाओं में रोड होने पर भी शास्त्रों के हिसाब से बताये गये फल क्यूँ प्राप्त नही होते …
* ईशान्त स्थल के उत्तर दिशा वाली रोड पुर्व दिशा में आगे तक जानी चाहिए और पुर्व दिशा वाली रोड उत्तर दिशा में।
अर्थात ऐसे भुखण्ड चौराहों पर हों तो ज्यादा शुभ फल देते हैं पर अघिकांश ऐसे भुखण्ड आपको तीराहे पर मिलेगें।
* ईशान्य स्थल में दोनों शुभ दिशाओं उत्तर व पुर्व में प्रवेश द्वार होने चाहिए जबकि सब घरों में ऐसा नही है।
* भवन के सामने की तरफ़ उत्तर व पुर्व दोनों दिशाओं में बने हुऐ दुसरे लोगों के घरों के मुख्य द्वार भी हमारी वाली रोड पर खुलने चाहिए पर कई जगह धर की उत्तर या पुर्व दिशा में रोड के पार पार्क या बड़ा प्लाट होने पर उसका मुख्य द्वार हमारी तरफ़ नही खुलता।
* ईशान्य स्थल के ज्यादा शुभफल तभी मिलते हैं जब उत्तर दिशा वाली रोड का ढलान पुर्व में और पुर्व दिशा वाली रोड का ढलान उत्तर दिशा में हो।
ईशान्य स्थल में भवन का निर्माण करते समय अगर इसकी कुर्सी (अन्दर का लेबिल) रोड से नीची हो जाये तो ऐसे घर शुभ नही रहते।
ईशान्य स्थल में अगर बेसमेंट का निर्माण करना हो तो विशेष सावधानी की ज़रूरत पड़ती है क्यों की ऐसे भुख्ण्डो में बने हुऐ अशुभ बेसमेंट से मानसिक अशांति उत्पन्न होती है और संतान की उन्नति रूक जाती है।