श्री बृहस्पति देव, जिन्हें गुरु भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में नवग्रहों में से एक प्रमुख देवता हैं। वे ज्ञान, शिक्षा, और धर्म के देवता माने जाते हैं। बृहस्पति देव को देवताओं के गुरु और सलाहकार के रूप में भी जाना जाता है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- ज्ञान और शिक्षा: बृहस्पति देव को ज्ञान और शिक्षा का प्रतीक माना जाता है। वे वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता हैं।
- धर्म और नैतिकता: वे धर्म और नैतिकता के पालन में अग्रणी हैं और लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
- ग्रहों में स्थान: बृहस्पति ग्रह (जुपिटर) का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसे शुभ ग्रह माना जाता है।
पूजा और आराधना:
- बृहस्पति देव की पूजा विशेष रूप से गुरुवार के दिन की जाती है।
- पीले वस्त्र, पीले फूल, और चने की दाल का भोग अर्पित किया जाता है।
जय वृहस्पति देवा,
ऊँ जय वृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊँ,
कदली फल मेवा ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी ।
जगतपिता जगदीश्वर,
श्री बृहस्पति देव की आरती
तुम सबके स्वामी ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
चरणामृत निज निर्मल,
सब पातक हर्ता ।
सकल मनोरथ दायक,
कृपा करो भर्ता ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
तन, मन, धन अर्पण कर,
जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर,
आकर द्घार खड़े ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
दीनदयाल दयानिधि,
भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
सकल मनोरथ दायक,
सब संशय हारो ।
विषय विकार मिटाओ,
संतन सुखकारी ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥
जो कोई आरती तेरी,
प्रेम सहित गावे ।
जेठानन्द आनन्दकर,
सो निश्चय पावे ॥
ऊँ जय वृहस्पति देवा,
जय वृहस्पति देवा ॥